हमारा भारत इतना महान देश
है की यहाँ अगर कोई गरीब बाइक से हॉस्पिटल जा रहा हो और गलती से उस से सिग्नल टूट
जाए तो कानून के दलाल पुलिसवाले उससे इस तरह का सुलूक करते है की वो सिग्नल नहीं
पर कोई देशद्रोह कर के जा रहा हो या फिर उसने ट्रेन जला दी हो पर यही पोलिस
अपराधियो को जेल में किसी फाइव स्टार होटल जैसी सव्लाते देती है यह वही पोलिस है
जो हर पंद्रह अगस्त २६ जनवरी को हमारे ध्वज को सलामी देते है
भारतीय संविधान के अनुसार हमारे तिरंगे का अपमान करने को राजद्रोह
माना जाता है और इसके लिए किसी भी कोर्ट में जामिन नहीं मिल सकता है गुजरात के
हार्दिक पटेल ने ध्वज से एक पुलिसवाले को धक्का दिया था और हमारे ध्वज का अपमान
किया था,उसके एक इशारे पर ५०० करोड़ की गवर्मेंट की संपति को जलाकर ख़ाक कर दिया गया था. और नव
महीने जेल में रहने के बाद उसको जामिन पर छोड़ दिया गया वो भी भाजप के किसी नेता के
इशारे पर देश का कानून सिर्फ अंधा ही नहीं है हमारा कानून बेबस है बड़े नेता के
सामने घुटने टेक देता है
सलमान खान जिसको भाई बोला जाता है,बोलीवूद का दबंग खान,जिसने शराब
के नशे में धुत होकर एक परिवार को तबाह कर दिया गया था और निचली कोर्ट तक सलमान को
अपराधी साबित कर दिया गया था पर मुंबई हाईकोर्ट ने सलमान को बाइज़त वारी कर दिया जब
याकूब मेमन को फांसी दी जा रही थी तब सलमान ने ट्विट की थी की मेमन बेकसूर है,क्या
एक आतंकवादी को प्रतिसाद देना देशद्रोह नहीं है तो सलमान के ऊपर कोई एक्शन क्यों
नहीं लिए गए?...क्योकि देश में कानून के बेईमान दलालों की कोई कमी नहीं है.सुलतान
के प्रमोशन पर उसने बोला था की मेरी हालात रेप पीडिता जैसी हो जाती है पर उसने माफ़ी
मांगने तक का इनकार कर दिया.
अवैशी जो भारत में रहकर ही भारत की बुराई करता है क्या वो
देशद्रोही नहीं है फिर भी उसे इलेक्शन में खड़े रहने की इजाजत मिल जाती है क्योकि
हमारा कानून बेबस है
कश्मीर में इतने जवान शहीद हो रहे है पर दिल्ली में बैठे इंसान को
कोई भी फरक नहीं पड़ता क्योकि वो तो तुज़किस्तान की यात्रा करने में पड़े है और अपने
देश को सहाय करने की वजे वो तुजाकिस्तान और पाकिस्तान को मदद का एलान कर रहे है
क्योकि कानून अँधा नहीं बेबस है
आखिर क्यों हमारा कानून बेबस बन गया है?...अगर हमारा कानून बेवस
है उसकी वजह सिर्फ हम है और कोई नहीं क्योकि हमें ऐसा है की सरकार कर रही है ना
हमें क्या हमें तो पांच साल में एक बार वोट दाल देना होता है और पोलिस भी यही कहती
है की कानून हाथ में कोई नहीं लेगा.आशाराम ने बलात्कार किया अगर उसी दिन सब लोगो
ने मिलकर उसे नरक में भेज दिया होता तो आज वो जेल में बैठकर जलसा नहीं कर रहा होता.
और भीड़ की ना तो कोई शकल होती है और ना कोई नाम तो FIR किसके ऊपर लगती ,हमें अगर
बदलाव लाना है तो दो चीजों की जरुरत है कट्टर सोच और युवा जोश,हमारा कानून तभी सही
तरीके चल पायेगा जब हम ओन धी स्पॉट अपराधी को सजा देंगे वरना कानून को हाथ में ना
ले ऐसा बोलने वाली पुलिस के हाथ तो खुद रुपयों की ज़ंजीरो से बंधे हुए है
..धन्यवाद्
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